वो नहीं तो कुछ नहीं

मुझे अभी उड़ जाने को ना कहो
चलने को ना कहो
मैं अभी गिरा हूँ
औंधे मुँह
बड़ी उड़ानों से
अब थक गया हूँ
अब थोड़ा ठहर जाने दो
थोड़ा सहम जाने दो
थोड़ा मुझको अब
तुम संभल जाने दो


वो जिसने मुझे ख़्वाब दिखाए थे
वो सारा आसमां दिखाया था
मुझे परिंदा बता कर
मुझे उड़ जाने को ललकारा था
वो शख्स मुझे आज छोड़ कर
मुझसे आगे कहीं उड़ चला था

मैं अकेला भटकता
आवारा फिरता
थक गया था
और फिर कहीं ठहर गया था
आँख जो लगी मेरी
कुछ होश नहीं रहा था
 मैं अपने उस साथी की तलाश में 
सारा जहां घूम आया था 


आँखों में अँधेरा 
जिस्म में ग़म था 
वो नहीं तो कुछ नहीं
ना दिल था ना दिमाग था ना होश था 
पर फ़िर भी ना जाने क्यूँ 
ज़हन में 
ज़रा सा सुकून था 


उसके होने तक तो मैं
जैसे एक जांबाज़ था 
पर अब जब वो नहीं है 
तो फिर मैं बेआवाज़ था 


मुझे उड़ने को ना कहो 
मैं थक गया हूँ 
बहुत गिड़गिड़ा लिया हूँ 
अब आवाज़ नहीं निकलती जुबां से 
थोड़ा रुक जाओ तुम भी अब 
इतनी जल्दी ना करो 
अभी अभी तो गिरा हूँ मैं 
कुछ वक़्त लगेगा फिर से उठने में 
अरमान बिखर गए हैं सारे मेरे 
कुछ वक़्त तो लगेगा 
इन्हें समेटने में 


वादा नहीं 
पर कोशिश करूँगा 
की मैं हिम्मत जुटा  सकूँ 
उस टीले तक पोहचने की 
जहाँ से मैं उस शख्स को एक बार फिर 
आवाज़ लगा सकूँ 
शायद वो सुन ले मुझे कहीं 
या बेचारा समझ आ जाए मुझ तक 


अब समय नहीं है मेरे पास 
मुझे उड़ जाने को ना कहो 
कुछ कहने को नहीं बचा अब 
मुझे कुछ देर मर जाने दो

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